Sadhana Shahi

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कोमल को कमज़ोर नहीं (कविता )-16-Aug-2024

कोमल हूँ कमज़ोर नहीं

मैं भारत की नारी हूंँ कोमल हूँ कमज़ोर नहीं, अरि की नज़र पड़ी जो मुझ पर उगता सूरज भोर नहीं।

तुम झांँसी को लेने आए समझ रहे हो मैं दे दूंँगी, जब तक तन में रक्त बूंँद है मैं झांँसी ना छूने दूँगी।

आत्मसमर्पण झांँसी को में जीते जी ना करने दूंँगी, मैदान-ए-जंग में बनू मैं चंडी सुनो फिरंगी नहीं डरूंँगी।

मेरे पति शांति कला पर अपना ध्यान किये थे समर्पित, भारतवासी एकजुट हो देख जिसे गोरे हों कंपित।

एकजूट हो हम ग्वालियर में अंग्रेज़ों पर करेंगे हमला, स्व- हौसले को पहचानें काली रूप गहें ना कमला।

फूट डालकर कर रहे शासन सभी धर्मों के ये हैं ख़िलाफ़, इनका हश्र हो चंड-मूंड सा बन कोमल हम ना करें माफ़।

युद्ध भूमि में यदि हम हारे वीरगति को हो गए प्राप्त, निश्चित रूप से मोक्ष मिलेगा शर्मिंदा ना करे कयानात।

आज़ादी के हम रखवाले हिम्मत और उत्साह भरें, दूर फिरंगी को है करना इन धूर्तों से नहीं डरें।

मातृभूमि की रक्षा खातिर आओ हंँसकर प्राण गँवाएँ, हर नारी बन जाए काली नर संहारक शिव कहलाएँ।

तन,मन,धन सब कुछ दे देंगे मुर्दों में डालेंगे जान, मातृभूमि हेतु दें प्राणाहुति भारत मांँ की बढ़ाएंँ शान ।

अर्थहीन जीवन ना जीऊँ सार्थक मृत्यु को सदा वरूँ, सुनो गौर से तुम ऐ गोरों कर्तव्य मार्ग पर नहीं डरूँ।

जीवन भर कैदी बन रहना मुझको है स्वीकार नहीं, आजादी के हम हैं दीवाने हम करते चीत्कार नहीं।

बलिदानों की बलि बेदी पर स्वतंत्रता का दीप जले, संघर्षों का तेल डाल दें हिम्मत की बाती सदा डले।

साधना शाही, वाराणसी, उत्तर प्रदेश

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3 Comments

Babita patel

17-Jan-2025 07:25 PM

👌👌

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kashish

29-Sep-2024 01:27 PM

Amazing

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Arti khamborkar

21-Sep-2024 09:09 AM

v nice

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